भारत एक लोकतान्त्रिक देश है!
जहाँ पर लोकतान्त्रिक समाज की कमान को सँभालने के लिए ही चुनाव कराये जाते है! जिससे जनता अपने वोटो के आधार पर उस नेता या उस पार्टी को चुनती है, जो देश को प्रगति के शिखर तक पहुँचाने में सक्षम हो, और जनता की समस्याओं का समाधान करे! लेकिन आजकल राजनैतिक पार्टियाँ और राजनेता सिर्फ वोट पाने के लिए भोली-भाली जनता से झूठे वादे करते है? और सत्ता में आने के लिए धर्म , जाति , और आरक्षण के नाम पर लोगो के बीच फूट डालते है? और अपना वोट बैंक इकट्ठा करते है?
जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आते जा रहे है तो चुनावी सरगर्मियां भी तेज़ होती जा रही है! नगर-नगर और गाँव-गाँव जाकर रोड-शो किये जा रहे है, जनता के साथ वक़्त बिताया जा रहा है, और जगह -जगह जनसभाओं को सम्बोधित किया जा रह है! क्योंकि अभी इन नेताओं को जनता के वोटो की ज़रुरत है! इसीलिए हाथ जोड़कर जनता से वोट मांगने जा रहे है! और जनता से बड़े-बड़े वादे कर रहे है! लेकिन जैसे ही सत्ता हासिल करेंगे भूल जायेगे सारे वादे - सारी कसमे !!!
राजनीति की अगर बात की जाए तो आज के नेताओं को शायद ही राजनीति की परिभाषा आती हो? क्योंकि आजकल राजनीति...... धर्म , जाति , आरक्षण , और क्षेत्रवाद के मुद्दों पर होने लगी है! राजनीति आतंकवाद के खिलाफ , देश के विकास और जनकल्याण के नाम पर होनी चाहिए.... ना कि ... मज़हब और जाति के नाम पर .....परन्तु भारत में आज राजनैतिक पार्टियाँ ज्यादातर इन्ही मुद्दों को घसीटती है!
सबसे पहले बात करते है , भाजपा...... यानी भारतीय जनता पार्टी की! भारतीय जनता पार्टी मतलब भारत की जनता की पार्टी! और भारत की इस जनता में सभी धर्म, जाति और समुदाय के लोग आते है! चाहे वो हिन्दु हो , मुस्लिम हो , सिक्ख हो , इसाई हो , या बौद्ध, और या फिर किसी भी जाति का हो! लेकिन जैसे ही चुनाव करीब आते है, भाजपा राम मंदिर का मुद्दा ही उठाती है!
पिछले दिनों गोरखपुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा था यदि भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला तो कानून बना कर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करायेगे! और फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले को लेकर ६ माह के भीतर फैसला करायगे! मुंबई के कांग्रेस अध्यक्ष कृपा शंकर सिंह का कहना है कि भाजपा कहती है , खाते है क़सम भगवान् राम की, कि राम मंदिर अयोध्या में ही बनवायेगे! मगर तारीख नहीं बतायेगे! यदि क़सम खानी है तो अटल जी कि खाए! राम के नाम की क़सम क्यों तोड़ते है?
यदि बात की जाए बहुजन समाज पार्टी की तो बहन कुमारी मायावती का भी एक ही चुनावी मुद्दा है - अल्पसंख्यको और दलितों के आरक्षण का मुद्दा! वैसे तो बसपा का नारा है - " सर्वजन हिताय एवं सर्वजन सुखाय " ! अगर सभी जनों के हित और सुख का नारा देती है तो सिर्फ दलितों और अल्प्संख्को के बारे में ही क्यों सोचती है! जितने सरकारी खजाने का दुर्रोपयोग अपनी मूर्तियाँ और हाथी बनवाने में कर रही है यदि उतने पैसे अल्पसंख्यको और दलितों के आरक्षण में खर्च करे तो शायद ही आरक्षण का मुद्दा उठाने की नौबत पड़े ? लेकिन माया मेमसाब को कुछ न कुछ मुद्दा तो चाहिए वोट बैंक के लिए.....
चलते है अब देश की सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस की ओर.... , चुनाव से लगभग २ महीने पहले सरकार ने करीब ६७ करोड़ वोटरों को रिझाने के लिए अपना खजाना खोलते हुए सेवाकर और उत्पादन शुल्क में कटौती का ऐलान किया था! जिसे विपक्षी पार्टी भाजपा ने चुनावी लालीपॉप करार दिया था! तो मतलब साफ़ है की चुनाव से पहले " हम तुम्हारे है सनम " और सत्ता में आने के बाद , "हम आपके है कौन? " कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आतंकवाद को बढ़ावा, कांग्रेस सरकार महंगाई पर लगाम लगाने में नाकाम, और किसानो की आत्महत्या इत्यादि, इन्ही तरह के आरोप लगते आये है! और तो और........ २६/११ को होटल ताज, सी एस टी, नरीमन पॉइंट, और ओबेरॉय होटल पर हुए हमलो के बाद से तो कांग्रेस का ग्राफ गिरता दिखा! और नौबत यहाँ तक आ गई कि केन्द्रीय ग्रह मंत्री के साथ - साथ महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री को भी इस्तीफा देना पड़ा!
शिवसेना और मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) कि तो बात ही छोड़ दी जाये तो बेहतर होगा!क्योंकि ये राजनैतिक पार्टियाँ कम....... क्षेत्रीयवाद और भाषावादी पार्टियाँ ज्यादा लगती है! यदि इन पार्टियों का बस चले तो महाराष्ट्र को भारत से अलग ही कर दे ? या फिर कुछ इस तरह से कहा जाये कि महाराष्ट्र का संविधान कुछ अलग है? क्योंकि भारतीय संविधान की धारा १९ के अंतर्गत कोई भी भारतीय नागरिक भारत में कहीं भी आ-जा सकता है, कहीं भी व्यवसाय कर सकता है, और कहीं भी रहने का पूर्ण अधिकार रखता है!
अब रुख करते है उस पार्टी की ओर जो हमेशा से ही अपने आप को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी बताती रही है..... सपा यानी समाजवादी पार्टी की ओर ! सपा एक ऐसी राजनैतिक पार्टी है जो ज्यादातर मुस्लिम वोट पर निर्भर करती है! लेकिन जब से सपा के मुलायम सिंह ने भाजपा के कल्याण सिंह से हाथ मिलाया है..... तब से समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया और कुछ ने छोड़ दी! क्योंकि उन नेताओं का मानना है कि कल्याण सिंह भी बाबरी विध्वंस के भागीदार है! वहीँ दूसरी ओर लखनऊ सीट से सपा ने संजय दत्त को खड़ा किया था! लेकिन १९९३ में हुए बम धमाको में आरोपी होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है!
इस तरह से यदि देखा जाये..... तो लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों में कुछ न कुछ खामियां है! इसलिए फैसला अब इस देश की जनता को करना होगा.....कि अपना कीमती वोट किसे दे ??? और अंत में सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा....... कि आप अपना कीमती वोट किसी पार्टी या चुनाव निशान को न देकर....... उस प्रत्याशी को दे, जो आम जनता का हमेशा साथ दे..... गरीबो की आवाज़ को ऊपर उठाये........ "आंतकवाद और मंहगाई" जो कि इस देश की मुख्य समस्याएँ है, उन को पूरी तरह से खत्म कर दे! फिर चाहे वो प्रत्याशी किसी भी पार्टी का हो, या फिर किसी भी धर्म अथवा जाति का हो! और इसके लिए भारत के नौजवानों को आगे आना होगा, और...... चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना होगा , ताकि आने वाले समय में भारत एक सुपर पॉवर बन सके.....