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Thursday, November 25, 2010

जातिवाद के मुँह पर ज़ोरदार तमाचा....मैं बिहार हूँ ....

जब भी कभी चुनाव आते है...तो मै उनमे बड़ी दिलचस्पी लेता हूँ....या फिर यूँ कहूँ कि.... उस पर ख़ास तवज्जो देता हूँ! और उसकी वजह भी साफ़ है....क्योकि मेरे घर पर नेताओं का आना जाना लगा रहता है....तो राजनीति की बाते चलना भी लाज़मी है! इसलिए बचपन से ही... राजनीति से कुछ ज्यादा ही लगाव है! और बात जब राजनीति की चले तो... मज़ा अपने आप ही आने लगता है! खैर छोड़िए.... 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एक न्यूज़ चैनल में मुझे... मेरे हिसाब से ही काम सौंपा गया! सबसे पहले मैंने प्रोग्राम का नाम रखा... "बोल बिहार बोल".... क्योंकि उस प्रोग्राम को मुझे ही प्रोड्यूस करना था... अब शायद तीन या चार दिनों में ग्राफिक्स और एडिटिंग का काम पूरा करके, मैंने प्रोग्राम शुरू कर दिया! और अपने रिपोर्टर को लाइव प्रोग्राम के लिए ओo बीo वैन के साथ बिहार की अलग -अलग विधानसभा सीटो की स्थिति और वहां की जनता की राय में जानने के लिए भेज दिया! फिर क्या था ...रोज़ आधे घंटे का प्रोग्राम दोपहर को और आधे घंटे का प्रोग्राम शाम को देना होता था!

सुबह को कहीं तो शाम को किसी और विधानसभा क्षेत्र की जनता से रु-ब-रु होते थे! सुबह कोई नेता जनता के साथ खड़ा होकर लालू-पासवान का गुणगान करता.... तो कोई शाम को नितीश के कसीदे पढता....तो कभी किसी कॉलेज के बाहर कोई युवा नेता छात्रो को संबोधित करते हुए राहुल भैया का सन्देश देता! ये उस वक़्त की बात है जब 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरे जा रहे थे! अब तो ये हर रोज़ का किस्सा हो गया था! मै ख़ामोशी के साथ सबकी बाते सुनता और फिर प्रोग्राम ख़त्म होने के बाद अपने सीनियर से ...इन सब पर डिस्कस करता! लेकिन रात को घर लौटते वक़्त दिमाग में यही रहता कि...किसको चुनेगी बिहार की ये जनता ...? किसको चुनेगा बिहार का बरसो से हाशिये पर रहा मुस्लिम समाज...? किसकी होगी ताजपोशी...? कौन पहनेगा का बिहार का ताज...? आखिर क्या फैसला करेगी बिहार की जनता? क्या इस बार भी बिहार की जनता हमेशा की तरह ठगी सी रह जायेगी....? या फिर पलट कर अपने वोटों से... जातिवाद के मुँह पर ज़ोरदार तमाचा मारेगी?

बस इसी उलझन में दिन कब निकलते गए पता ही नहीं चला! और एक दिन वो भी आ गया... जब वोटों की गिनती का काम शुरू हो चुका था! सुबह से ही मन में उत्सुकता थी कि .... क्या नतीजे आयेंगे? लेकिन धीरे - धीरे सभी टी.वी. चैनल पर रुझान दिखने शुरू हो गए! उन रुझान को देखते हुए .... एक बार फिर से नीतीश के तीरों ने सभी को चित कर दिया था! बिहार में एक बार फिर से जे डी (यू) और बी जे पी का गठबंधन होता दिख रहा था...बस फिर क्या था एक्जिट पोल आते - आते सारे पटना क्या ...पूरे देश में एनडीए के समर्थको में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी... क्या ये विकास की जीत थी...? क्या ये शिक्षा की जीत थी...? क्या ये बिहार की जनता की तरफ से जातिवाद के मुँह पर करारा तमाचा था...? शायद इन सब का जवाब सिर्फ एक था ...."हाँ"...! और मुझे अपने सवाल का जवाब मिल गया था!

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